अमेरिका-ब्रिटेन में क्या पाताललोक में 90 टन के स्टील सिलेंडर में बंद है भारत का सोना, विदेशी तिजोरी में हमारा स्वर्ण भंडार क्यों?

नई दिल्ली: स्वर्ण को लेकर हम भारतीयों की चाहत दुनिया से छिपी नहीं है। हालांकि, भारत का गोल्ड रिजर्व अक्टूबर तक 1.786 अरब डॉलर के इजाफे के साथ अब 67.444 अरब डॉलर का हो गया है। जुलाई 2024 तक, आरबीआई के पास सोने का कुल भंडार 846 टन था। धनतेरस से पह

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नई दिल्ली: स्वर्ण को लेकर हम भारतीयों की चाहत दुनिया से छिपी नहीं है। हालांकि, भारत का गोल्ड रिजर्व अक्टूबर तक 1.786 अरब डॉलर के इजाफे के साथ अब 67.444 अरब डॉलर का हो गया है। जुलाई 2024 तक, आरबीआई के पास सोने का कुल भंडार 846 टन था। धनतेरस से पहले यह इजाफा आपको सुकून दे सकता है, मगर आपको यह जानकर हैरानी होगी कि भारत के स्वर्ण भंडार का एक बड़ा हिस्सा विदेशों में रखा जाता है। देश का केंद्रीय बैंक यानी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) बैंक ऑफ इंग्लैंड, स्विट्जरलैंड के बेसिल में बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट्स (BIS) और अमेरिका के फेडरल रिजर्व बैंक ऑफ न्यूयॉर्क में भारत का स्वर्ण भंडार रखाता है। आइए-जानते हैं कि विदेशी तिजोरियों में यह स्वर्ण भंडार कैसे और क्यों रखा जाता है।

इजरायल-ईरान जैसी जंग के दौरान सोना देता है भरोसा

भारत ने हाल ही में अपनी सोने की खरीद में काफ़ी बढ़ोतरी की है। 2024 के पहले चार महीनों में भारत ने पिछले पूरे साल की तुलना में डेढ़ गुना ज्यादा सोना हासिल किया है। विदेशों में सोना रखने से भारत को व्यापार करना, स्वैप में शामिल होना और रिटर्न कमाना आसान हो जाता है। हालांकि, इजरायल-ईरान, रूस-यूक्रेन जैसे युद्धों के समय जोखिम भी बढ़ता है। ऐसे मुश्किल हालात में भी यही सोना भरोसा देता है।

RBI ब्रिटेन में रखा 100 टन सोना वापस लाया

कुछ समय पहले ही आरबीआई ने ब्रिटेन में रखा 100 टन सोना वापस लाने में कामयाबी हासिल की है। इतना ही सोना अभी और लाया जाना है। बताया जा रहा है कि विदेशी बैंक में सोना रखने की भारी-भरकम लागत से बचाने के लिए ये कदम उठाए जा रहे हैं।
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400 से ज्यादा टन सोना विदेशी तिजोरियों में

रिजर्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, कुल स्वर्ण भंडार में से करीब 414 मीट्रिक टन विदेश में रखा गया है। भारत में जारी किए गए नोटों के समर्थन के लिए 308 मीट्रिक टन से अधिक सोना रखा गया है, जबकि 100 टन से अधिक सोना स्थानीय स्तर पर बैंकिंग विभाग की संपत्ति के रूप में रखा गया है। स्थानीय स्तर पर रखे गए सोने को मुंबई और नागपुर में हाई सिक्योरिटी वाली तिजोरियों या वॉल्ट में रखा जाता है।

क्यों रखा जाता है सोना, क्या है मकसद

किसी देश के केंद्रीय बैंक की ओर से रखा गया सोना ही गोल्ड रिजर्व कहलाता है। इसका मकसद जमा करने वालों, नोट रखने वालों, निवेशकों या कारोबारियों को भुगतान के वादों को पूरा करने की गारंटी देना है। यह उस देश की मुद्रा के मूल्य को मजबूती भी देता है।
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सोने की खरीद में RBI दुनिया के टॉप 5 देशों में

वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (WGC) के अनुसार, RBI सोना खरीदने वाले दुनिया के 5 टॉप केंद्रीय बैंकों में से एक में से एक है। सिंगापुर के मौद्रिक प्राधिकरण, पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना और तुर्की जैसे कई केंद्रीय बैंक डॉलर की कीमतों में गिरावट, घटती ब्याज दरों और अपने फॉरेक्स रिजर्व को बहुआयामी बनाने के लिए सोना खरीद रहे हैं।

विदेशी तिजोरिया में क्यों रखा जाता है सोना

भारत समेत दुनिया के कई देश अपने स्वर्ण भंडार का बड़ा हिस्सा विदेशी तिजोरियों में रखते हैं। ऐसा इसलिए किया जाता है, ताकि राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा के लिहाज से स्थिरता कायम रहे और इनके जोखिम कम किया जा सके। लंदन, न्यूयॉर्क और ज्यूरिख जैसे प्रमुख वित्तीय केंद्रों में रखे गए सोने को अंतरराष्ट्रीय लेनदेन में आसानी से इस्तेमाल किया जा सकता है। भारत का स्वर्ण भंडार का एक बड़ा हिस्सा बैंक ऑफ इंग्लैंड और बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट्स में रखा जाता है। इसकी वजह ब्रिटेन और अमेरिका के साथ ऐतिहासिक संबंध भी हैं, जिनसे इन पर भरोसा बढ़ा है।
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कैसे काम करती हैं ये विदेशी तिजोरियां

अमेरिका, इंग्लैंड में ऐसी तिजोरियां या वॉल्ट हाई सिक्योरिटी की कई परतों वाली होती हैं। इसके चारों मजबूत ग्रेनाइट की दीवारें, सीसीटीवी स्मार्ट कैमरे, अलार्म, हथियारबंद गार्ड और आर्मी के जवानों और पुलिस का सुरक्षा घेरा होता है, जहां परिंदा भी पर नहीं मार पाता।

80 फीट नीचे स्टील सिलेंडर में रखे जाते हैं स्वर्ण भंडार

न्यूयॉर्क के फेडरल रिजर्व बैंक में भी कई देशों का गोल्ड रिजर्व रखा जाता है। सड़क से 80 फीट नीचे स्थित यह भंडार 90 टन के स्टील सिलेंडर में बंद है, जो किसी पाताललोक से कम नहीं है। जर्मनी के फ्रैंकफर्ट में ड्यूश बुंडसबैंक, पेरिस में बैंक डे फ्रांस, स्विटजरलैंड में बीआईएस के अलावा, स्विस नेशनल बैंक और ज्यूरिख वॉल्ट भी हैं। ये दिन-रात कड़ी निगरानी में रहते हैं।


अमेरिकी खजाने से 3 गुना ज्यादा सोना मंदिरों में

भारत में मंदिरों के खजाने में इतना सोना है कि वो अमेरिकी सरकार के खजाने से भी तीन गुना ज्यादा है। मंदिरों में भगवान को सोना इतना पसंद है कि पद्मनाभ स्वामी मंदिर, तिरुपति बालाजी मंदिर, जगन्नाथ मंदिर, वैष्णो देवी मंदिर जैसे मंदिरों में 4000 टन सोना रखा है। यह आंकड़ा वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल का है। भारत का गोल्ड रिजर्व भले ही 800 टन से ज्यादा हो, मगर हम भारतीयों को भी सोना इतना भाता है कि 25 हजार टन से ज्यादा सोना हम सहेजकर रखे हुए हैं। यह दुनिया में सबसे ज्यादा गोल्ड रिजर्व रखने वाले अमेरिका के 8,965 टन का करीब तीन गुना है।

महासागरों में भरा पड़ा है 2 करोड़ टन सोना

गोल्ड डॉट आरजी नाम की एक वेबसाइट के अनुसार, धरती पर इतना सोना है कि अगर इससे 5 माइक्रॉन जितना पतला तार बनाया जाए तो इससे पूरी दुनिया को 1.1 करोड़ बार लपेटा जा सकता है। यही नहीं धरती पर धरती पर कोई ऐसा महाद्वीप नहीं है, जहां सोना न हो। यहां तक कि सभी समुद्रों में सोना भरा पड़ा है। अनुमान के अनुसार, दुनिया के सारे महासागरों में करीब 2 करोड़ टन सोना भरा पड़ा है। हर 100 मिलियन मीट्रिक टन समुद्री पानी में 1 ग्राम सोना पाया जाता है। अटलांटिक और उत्तरी प्रशांत महासागरों में सोना पाए जाने की संभावना सबसे ज्यादा होती है।

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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